कोरोना ने इंसान की औकात दिखाई

 उज्जैन= मेरा बंगला मेरा फार्म हाउस मेरी फैक्ट्री मेरी मीन मेरी दुकान मेरी गाड़ी मेरा प्लॉट मेरा अपार्टमेंट मेरा होटल सब कुछ देखते ही देखते लावारिस सा हो गया आज चाह कर भी कोई अपनी इन चीजों को देखने भी नहीं जा सकता नाही जाना चाहता है क्योंकि  कोरोना का डर है साहब आज अचानक जिंदगी अनमोल हो गई है सुना तो था कि आदमी मरने के बाद सब कुछ यही छोड़ जाता है पर यहां तो अभी जीते जी ही सब कुछ छूट सा गया है क्योंकि हमारी औकात एक कीटाणु से लड़ने की नहीं है फिर भी इतना घमंड हम किस बात पर करते हैं